Friday 15 March 2013

Meri chut me khajh - मेरी चूत में खाज़ (चुदाई की कहानियां)

उस दिन हुआ यह था कि मैं बहुत चुदासी थी और अम्मी नानी के घर गई हुई थी। यह तो आप लोग जानते ही है कि मेरी पहली चुदाई भी अब्बु ने ही की थी और फ़िर अम्मी ने भैया से भी चुदवाया था और अब वो लोग अकसर मुझे चोदा करते थे। मगर इधर बहुत दिन से अब्बु अम्मी की फ़ैली हुई चूत में मस्त थे और भैया ने कोई दूसरी गर्ल फ़्रेन्ड फ़ंसा ली थी और मुझ पर ध्यान देना छोड़ ही दिया था।
तब आखिर अम्मी के बाहर जाते ही मैंने सबसे पहले अपनी झांटे बनाई और रात को अब्बु के कमरे में गई।
अब्बु कोई मूवी देख रहे थे और मुझे देख कर बोले- बेटी, क्या हुआ आज बहुत दिन बाद अब्बा की याद आई?
तब मैंने कहा- आप तो अम्मी जान की चूत में ही फ़ंसे रहते हैं अब आपको मेरा ज़रा भी खयाल नहीं ! आपने मुझे कितने दिनों से नहीं चोदा है। तब अब्बु ने दुलार जताते हुए कहा- ऊऊओह्हह्ह मेरी प्यारी रानी बेटी आजा, आज तुझे फिर से चोदता हूँ ! और यह कह कर उन्होने डीवीडी बदल दी। अब उसमें एक ब्ल्यू फ़िल्म चलने लगी। जिसमें एक छोटी सी लड़की को पाँच आदमी चोद रहे थे। जिसे देख कर मेरी आँखें बाहर आ गई और मैंने अब्बु से कहा- अब्बा यह बच्ची इन पांचों को एक साथ झेल रही है और उसको कितना मज़ा आ रहा है जबकि इसकी उम्र भी अभी ज्यादा नहीं होगी। तब अब्बु बोले- मेरी बच्ची, ये साले अंग्रेज लोग ऐसे ही होते हैं। साली इतनी सी है और तुम खुद ही देखो कि कैसे मज़े ले लेकर पांच पांच लण्डों का मज़ा एक साथ ले रही है। जबकि इसमें एक इसका बाप और एक भैया के अलावा तीन बाहर वाले हैं।
अब ये सब देख कर भला मेरी चूत में खाज़ क्यूं नहीं उठेगी।
तब मैंने अब्बु से कहा- अब्बु, मैं तो आप और भैया से ही चुदवाकर पनाह मांग लेती हूँ। तब अब्बु ने कहा- जा बगल के कमरे से भैया को बुला ला। साला लण्ड हाथ में पकड़े सो रहा होगा। तब मैं भैया के कमरे की तरफ़ बढी और देखा तो सच में वो अपने लण्ड को हाथ में लेकर सड़का मार रहा था। मैं जल्दी से बढ़ते हुए बोली- हाय भैया, क्या गज़ब कर रहे हो।
भला घर में इतनी खूबसूरत बहन होते हुए तुम्हें यह सब करना पड़े तो लानत है मेरी जवानी पर ! और मैंने झट से उनका लण्ड अपने कोमल हाथ में ले लिया, बड़े प्यार से सहलाने लगी और जल्दी जल्दी हाथ आगे पीछे करने लगी और फ़िर झट से मुँह में लेकर चूसने लगी और तब भैया का लण्ड पूरी औकात में आ गया और वो मेरे बालों को पकड़ते हुए जोर जोर से धक्का मारने लगे और फ़िर जल्दी ही उनका पानी मेरे मुँह में गिरा जिसे
मैं चपर चपर करते हुए चाट गई और भैया से बोली- चलो अब्बु बुला रहे हैं, आज फ़िर से तुम दोनों मुझे चोदकर मज़ा दो। और भैया का लण्ड पकड़ कर अब्बु के कमरे में ले आई और भैया को देखते ही अब्बु बोले- मैंने कहा था साला मुठ मार रहा होगा। तब मैंने कहा- अब्बु, आप बहुत तजुरबेदार हैं, सच में भैया सड़का मार रहे थे। और फ़िर मैंने अब्बु का लण्ड अपने मुँह में ले लिया और भैया पीछे से मेरी गाण्ड पर अपना लण्ड रगड़ते हुए अन्दर डालने की कोशिश करने लगे। तब मैंने कहा- अब्बु जी, मैं भी ब्ल्यू फ़िल्म वाली लड़की की तरह पांच जनों से एक साथ ही चुदाना चाहती हूँ। अब्बा ने कहा- बेटी, तू नहीं झेल पायेगी एक साथ पांच पांच को। मगर मैं तो पूरी तरह से चुदासी हो ही चुकी थी, मैंने कहा- कान खोल के सुन लो आप दोनो को मुझे पांच जन से एक साथ चुदाना है तो चुदाना है। अगर कल आप लोग ने मुझे पांच जन से नहीं चुदवाया तो बहुत बुरा होगा।
तब अब्बु ने कहा- अच्छा अच्छा मेरी रानी बेटी, मैं तो तेरे भले के लिये ही कह रहा था। अगर तेरी चूत फ़ट गई तो परेशानी तो हमीं लोगो को होगी। मगर जब तू नहीं मान रही तो मेरे बला से। अब चल आज तो हम दोनों से चुदवा ले ! यह कह कर उन्होंने फ़िर से अपना मूसल जैसा लण्ड मेरे मुँह में जोरदार धक्के के साथ अन्दर धकेल दिया और तभी भैया ने पीछे से मेरी गाण्ड फ़ैलाकर इतनी जोर से धक्का मारा कि मुझे नानी याद आ गई ऊऊऊउईईईई माआआआ मर गई आआआआह्हह्हह्हह भैया जरा धीरे से धक्का मारो तू तो नानी याद दिला रहा है। तब अब्बु ने कहा- बेटी, चाहे जिसका नाम ले पर नानी का नाम ना ले। तब मैंने कहा- क्यूं ? तब अब्बु बोले- तेरी नानी की चूत मैंने मारी थी और कई साल तक मैं उसकी चूत चोदता रहा था। तब मेरे साथ साथ भैया का मुँह भी खुला रह गया, तब भैया ने कहा- अब्बु, क्या आपने नानी को चोदा है? अब्बु ने कहा- हां यार, साली मेरी सास बहुत मस्तानी थी। तुझे तो पता ही है कि तेरी अम्मी की कम उमर में शादी हुई थी। जब मेरी शादी हुई थी मैं 19 साल का था और तेरी अम्मी 16 साल की थी और मेरी सास सिर्फ़ 30 साल की थी। मगर मेरे ससुर की उमर करीब 40 साल थी, वो तुम्हारी नानी को खुश भी नहीं कर पाता था। जाने भी दो इन बातों को, अभी तो फ़िलहाल चुदाई का मज़ा लो। उसकी चुदाई के बारे में फ़िर कभी बताऊँगा।
और तब भैया पीछे से मेरी गाण्ड मार रहे थे और अब्बु आगे से मेरे मुँह में अपने लण्ड को धक्के लगा रहे थे। अब मुझे भी मस्ती आने लगी और मैं अपने मुँह और गाण्ड को आगे पीछे करते हुए धक्के लगाने लगी थी और तब भैया झड़ गये थे। मगर अब्बु जी अभी भी नहीं झड़े थे और उन्होंने मुझे बेड पर खड़ा होने को कहा। मैं खड़ी हो गई और तब अब्बु ने मेरे दोनों पैर अपने कन्धे के दायें बायें किए और मेरी चूत को मुँह में भर कर चूसने लगे। मैं बुरी तरह तप रही थी और अपने अब्बु का मुँह जोर जोर से अपनी चूत पर दबाने लगी। तब ही अब्बु खड़े होने की कोशिश करने लगे और मेरा बैलेन्स बिगड़ने लग। तब मैंने घबरा कर कहा- आआआअह्हह्हह्ह अब्बु क्या कर रहे है मैं गिर जाऊँगी !
मगर अब्बु नहीं माने और वो मुझे अपने कंधे पर बैठा कर खड़े हो गये। अब मैं अपनी दोनों टांगें उनकी गरदन में कस कर लपेटे हुए थी और अपनी चूत को उनके मुँह से दबाते हुए उनके सिर को भी जोर जोर से दबा रही थी और भैया आंख फ़ाड़े हुए अब्बु के इस पोज़ को देख रहा था और कसम से मज़ा तो हमें भी बहुत आ रहा था। इस तरह से कोई पहली बार मेरी चूत चाट रहा था और थोड़ी देर बाद ही मैं ऊऊऊऊऊओह्हहह्हह्ह ऊओह्हह्ह्ह आआह्हह्हह आआआअह्हह्हह्ह करते हुए झड़ गई और अब्बु का रस भी नीचे से पिचकारी की तरह बहने लगा और तब अब्बु मुझे नीचे उतारते हुए बेड पर लेटकर तुरंत अपने झड़े हुए लण्ड को मेरी दोनों चूचियों के बीच में रगड़ने लगे और मैं उनके नोक की तरह लण्ड की टोपी को मुँह में लेने की कोशिश कर रही थी। पर अब्बु जल्दी जल्दी आगे पीछे कर रहे थे। तब मैंने कहा- अब्बु अपना लण्ड मेरे मुँह में दीजिये। आपका सारा माल बेकार ही जाया हो रहा है। तब अब्बु ने अपने लण्ड को दोनों चूची के बीच से हटा कर मेरे मुँह में डाल दिया और मेरी चूची दबाने लगे और इस तरह से उनके लण्ड से थोड़ा सा रस और निकला, जिसे मैं चाट गई और फ़िर अब्बु ने अपना लण्ड मेरी गाण्ड में ठूंस दिया और उस दिन अब्बु और भैया दोनो ने मेरी गाण्ड ही मारी थी।
मेरी बुर के साथ कोई हरकत नहीं की थी और फ़िर रात को दुबारा भी उन लोगों ने मेरी गाण्ड एक एक बार और मारी अब मेरी गाण्ड फ़ड़फ़ड़ा रही थी।
सुबह अब्बु ने कहा- क्यों रानी बेटी, क्या खयाल है? क्या अब भी पांच जन से चुदवाओगी?
तब मैंने गुस्से से कहा- साला बेटीचोद भोसड़ी वाले, कहा ना चुदवाना है तो चुदवाना है। तब अब्बु मुस्कुरा कर बोले- कोई बात नहीं, आज रात तैयार रहना, आज पांच लोगों को लेकर आऊँगा ! और फ़िर मुझे अब्बु से नानी की चुदाई की बात भी जाननी थी। आज रात मुझे पांच जन से एक साथ चुदाई का मज़ा आने वाला है मगर मुझे अफ़सोस है कि अन्तर्वासना बहुत सी पाठिकाओं को शायद आज भी कोई लण्ड नसीब नहीं हुआ होगा और उन्हें मोमबत्ती से काम चलाना पड़ता होगा क्योंकि हर लड़की मेरी तरह बाप और भैया से नहीं चुदवा सकती। खैर मैं पांच जन की चुदाई दास्तान आज रात चुदाने के बाद अगली बार आप सबको बताऊँगी। तब तक सभी लड़कियाँ मोमबत्ती और लड़के जो भी चीज़ उनको आसान लगे उससे काम चला लेवें।

Saturday 9 March 2013

Meri Indian Bhabhi ke sath sex "चुदाई की कहानियां"

Mere bare mein bata du ki mai ek indian mard, meri height 6 ft hai aur meri body jyada slim bhi nahi aur jyada moti bhi nahi par thik thak hai. Mere sath ye tab hua jab mein 20 sal ka tha.Mere Indian bhaiya ki shadi hui thi. Ussamay mere bhaiya ki umar 28 saal aur meri nayi indian bhabhi ki umar lagbag 25 saal hogi. Jab se bhabhi aayi thi ghar mein jaise rounak thi kyunki aurato mein wahi sabse choti thi isliye din bhar idhar se udhar bhagti phirti, sab ke kaam karti par phir bhi hamesha chehakti rehti thi. Kuch hi dino mein meri unse kuch khaas banne lagi thi kyunki hamare umar ke bich phasla jyada nahi tha. Bhaiya ka hotel ka business hone ke kaaran din bhar ghar pe nahi hote aur meri college ke bad extra studies chal rahi thi isliye mein jyada tar dophahar ke bad ghar par hi hota tha. Bhaiya ka daily routine subah 7.30 baje se lekar raat 12 baje tak hota tha aur hotel ka business akele sambhalne ke kaaran se bhabhi ko jyada time nahi de pate the. Isiliye dhere dhere bhabhi aur mere bich kuch khaas kism ki dosti ho gayi thi aur hum ek doosre ke sath apni har feeling share karte the. Waise to hamari joint family thi par har ek se ye kaha gaya tha ki har koi apne apne room ki upar upar wali safai khud karega.
Sirf zhadu aur pharshi ke liye naukrani aati thi baki room ke sare kaam ua room mein rehne wale ko karne ka aadesh dadaji ne de rakha tha. Aise mein mera kafi bura haal tha par ek din meri pareshani ko samajkar meri nayi bhabhi ne roz mere room ki safai kar dene ka mujhse wada kiya aur takriban jab dopahar ko ghar ke sadsya aaram kar rahe hote the wo aakar mere room ki safai kar de jati thi. Inhi palo mein hamare bich baki sare rishto ne jagah khokar dosti ne apni jagah bana li aur ab hamesha jab bhi woh aati hum log kafi der mere hi room mein baten karte rehte. Waise to meri bhabhi hamesha salwar kamiz pahan thi aur uske upar dupatta cross mein lapeti taki kahin se bhi gala khula na reh jaye. Lekin hamare bich dosti ki wajah se bhabhi mere room ki safai ke waqt dupatta side mein nikalkar kaam karti. Aise mein kai kai bar bhabhi ko jhukna padta aur mujhe kai bar uske kameez ka gala jyada bada hone ki wajah se undar ka lagbag sara nazara dikta. Pehle to jab bhji woh jukti to mein aankhen wahan se hata leta par dhere dhere mein in lamho ka lutf uthane laga tha. Kya gori thi meri bhabhi undar se aur kya zabardast golaiya thi unki. Ye nazara dekhkar mere shorts ke undar mera sher khada hokar salami dene lagta.
Aise hi din beete rahe aur din ba din meri haalat bhabhi ke mammay ke aadhe nazaro ko dekhkar kharab hone lagi thi. Jab bhi woh kaam khatamkar room se jati mein sidhe bathroom mein jakar apne sher ko sula aata. Tadapne laga tha mein meri bhabhi ko pane ke liye aur shayad mujhe aisa lagne laga tha ki bhabhi ko bhi mujhe tadpane mein mazza aane laga tha kyunki ab woh mere samne jaroorat se jyada bar jhukti aur mujhe un sex se bhare boobs ke darshan karwati. Akhir ek din meine ye tai kar liya ki kisi na kisi tarah bhabhi ke sexy jawani ko chakna hi hai. Chahe jo ho jaye par bhabhi ke khoobsurat badan ko apni bahon mein bharke pyar karna hai. Par kabhi thik mouka nahi mila aur nahi kabhi aage badkar uska hath thamkar use bahon mein bharne ki himmat hui.
Aakhir woh din aa hi gaya jis din mere sare armaan pure hue. Mujhe jis pyar ki, jis sex ki bhabhi se chahat thi woh mil hi gayi. Hua kuch yun ke mere bua jo hamare hi seher mein rehti hai ke bete ka janeu programe tha aur ghar ke kuch sadasya wahi gaye hue the. Mein jab class khatam karke ghar aaya to sirf meri pyari si bhabhi aur dadi maa ghar par the. Jab bhabhi se dadi maa ke samne pooncha ke aap kyun nahi gaye to dadi maa ne jawab diya ki aaj naukrani nahi aayi to ghar ke kaam ki wajah se woh nahi gayi, raat mein khane par bua ke ghar par jayegi. Itna kehkar dadi maa ne kaha ki mein bhi fresh hokar bua ke ghar chala jaaon. Meine hami bhar di par aur apne room mein chala gaya.usi samay bhabhi ne mujhse room mein akar kaha ki sameer tum mat jao warna mujhe akele bor hoga. Tab meine bhabhi se kaha ki dadi maa ko kya jawab doo par phir iski bhi tarkib unke paas thi. Unhone kaha ki mein dadi maa ke samne ghar ke bahar chala jaaon par jaise hi dadi maa apne kamre mein jaye mein bhi chupke se jakar apne kamre mein beth jaaon. Ye idea mujhe thik laga aur meine aisa hi kiya. Lagbag 10-15 minute ke baad bhabhi mere room ki safai karne aa gayi. Meine jab pooncha to unho ne bataya ki dadi maa so gayi. Us din bhabhi ko upar ki safai ke alawa mera room bhi ponchna tha kyunki naukrani nahi aayi thi aur kismat se bhabhi ne us din off white colour ki dress pehni thi jo khub transparent thi jisme se unki red bra clear dhik rahi thi. Bhabhi ne apna dupatta utara aur safai shuru ki.
Tabhi mujhe apni hasrat puri karne ka mouka mila aur meine bhi bhabhi ki madad karni shuru ki ye kehkar ki aaj apko jyada kaam karna pad raha hai. Is bich kai kai baar bhabhi ne mujhe apne doodh ke mammay ke aadhe darshan karwaye jiski wajah se mera sher phir salami de raha tha shorts ke andar. Bhabhi ne jab jhadu lagana shuru kiya to mein pani bharne bathroom chala gaya aur bucket mein surf ka pani bhar laya. Bhabhi jhadu maar rahi thi ki tabhi meine pharsh par thoda pani gira kar phisalne ki acting ki aur baki sara pani bhabhi ke upar gira diya aur khud bhi bhabhi ke upar kara gira. Pehli baar meine bhabhi ke badan ko chua tha. Mujhe to jaise current lagne lage aur meine mouke ko na gawakar unke mammay dress ke upar se hi masal diye. Pehle to wo sakpaka gayi par phir unho kaha ki kartik upar se nahi andar hath dalkar inhe masal do. Ye sunkar to jaise mein achraj mein padh gaya. Bhabhi ne kaha ki woh janti hai meri unpar nazar hai aur mein kya chahata hoon. Woh bhi wahi chahati hai kyunki bhaiya ne unhe kabhi pura pyar nahi diya. Bhabhi ne kaha ki aaj ghar mein koi nahi aur pata nahi ke aisa mouka dubara kab mile, aaj jo chahe kar do. Meine bhi waqt ko samjha aur jhat se darwaja bandh karke bhabhi se lipat gaya. Pure chehre par kiss ki jahdi laga di aur unke hoton par aakar rukh gaya. Hothon se hoth mile, zuban se zuban ek dusre ko ham aise chus rahe the jaise pagal premi ho. Meine apne hath kameez ke andar dalkar bra ke upar se hi unke boobs dabane shuru kiye to unho kaha ki kartik gira do sari diwarein, sare bhandhan tad do aur rondh do mujhe apne niche.
Common baby fuck me kiss me suck me common. Unke aise shabdh sunkar mein jaise josh mein bhar gaya aur meine unke sare kapde ek ek karke utar diye. Ab who mere samne puri nangi thi, meri pyari sweet bhabhi ka khoobsurat badan mere samne tha. Meine unhe niche se kiss karni shuru ki aur unke jhango tak pahunchkar ruk gaya to unh one mujhe sar se kichkar apne jhango ke phasa diya. Meine bhi unki us mast si lal chut jo bahut gili thi chatna shuru kiya. Uske chut ki papdi ko chusta aur kat leta to who mast hokar siskarti. Phir meine apni jubaan ko uski chut mein dal diya aur undar tak chatne laga to Pagalo ki tarah udne lagi ‘sssssaiiiiiiieeee” ki awajo se mera room gunj raha tha aur mein bhi mast hokar uski chut chat raha tha ki achanak who jor se chillayi aur jadh gayi. Apne sare juices unh one mere munh mein hi chod diye aur mein bhi unhe bade pyar se pi gaya. Phir meine uthkar unke peth par se hote hue unke boobs par apne chumban gadne shuru ki aur unki chuchiya chusne aur katne laga. Who bhi kehti ke common baby suck me aur mein bhi unke boobs ko dabata, masalta aur chusta ja raha tha. Kuch der bad unh one mujhe apne se door kiya aur mere sare kapde nikal diye. Mera 7inch bada aur 2.5inch mota loada dekhkar who bol padi itna bada? Meine bhi unse kaha haan bhabhi ab tum ise apne mooh se nawajo to unhone bhi meri bath maankar mere lund ko chusna shuru kiya. Who chusti ja rahi thi aur mujhe jindagi ka sabse hasin lamha diye ja rahi thi. Andar bahar karte kabhi wo mere lund ke tip par zubaan pherti to kabhi apni thuk uspar laga kar phir se chat leti. Aisa karte karte aakhir mein bhi apni charam seema par pahunchkar zadh gaya aur apna sara garam lawa bhabhi ke mooh mein hi ugaldiya. Who bhi use mithe juice ki tarah sara pi gayi. Hum phir niche ek sath baitkar ek dusre ko chuimne lage. Meri jubaan uske mooh mein aur uski mere mooh mein thi.
Meine ek ungli se uski gili chut mein undar bahar karna shuru kiya aur bhabhi bhi mere lund ko hilane lagi. Kuch hi der bad mein phir se tayar ho gaya aur meine bhabhi ko bistar par litakar uski dono jhango ko faila diya aur apne sher ko gufa mein gusne ke liye rasta diya. Bhabhi ki chut par apne lund ko rakhkar ek zor ke dhakke se apne lund ko 5inch tak undar gusaya hi tha ki who chik padi, shayad bhaiya ke lund ki size choti hogi isliye bhabhi ko dard to hua par use majha bhi aane laga. Do char aur dhakke lagate hi mera pura 7inch undar tak ja chukka tha. And now I was just pushing it in n out, in n out and by every push my sweet bhabhi was moaning and screaming louder and louder.”Oooo..fuccck common sameer kill me fuck u baggar fuck me hard ooooyyya aaaaaaiiiiiiiiiiieeee “ were some kind of words she was yelling and I was just penetrating my whole lund as fast as possible. This went on for 15mints and in these minutes she came two times and finally when I was to come I caught hold of bhabhi’s boobs with my left hand and her hair with my right hand and started pushing my lund with great speed and came. Finally I emptied my whole of the hot cum’s load in her cunt, and fell down on her body. Hum dono ki saas phuli hui thi aur ek dusre se lipat kar soye hue the.
Kuch minto baad hum alag hue aur bhabhi bathroom mein jakar fresh hokar aayi aur mein bhi fresh hokar bhabhi ke bagal mein aakar beth gaya.

Saturday 2 March 2013

Bhabhi ki chut aur mera lund - Jordar Chudai भाभी की चूत और मेरा लंड - जोरदार चुदाई "चुदाई की कहानियां"

Bhabhi ki chut aur mera lund - Jordar Chudai भाभी की चूत और मेरा लंड - जोरदार चुदाई

मेरी भाभी अपेक्षा जो लगभग ३२ साल की है और दो बच्चों की माँ है, रंग गोरा, शरीर भरा हुआ, न एकदम दुबला न एक दम मोटा-ताज़ा। मतलब बिल्कुल गज़ब की। पर चूचियाँ तो दो-दो किलो के और गाँड कुछ ज़्यादा ही बाहर निकले हैं। मेरे ख़्याल से उसकी फिगर ३८-३२-३९ होगी।
मैं उस भाभी को चोदने के चक्कर में दो सालों से लगा था, और उसके नाम से मूठ मारा करता था। मेरे भैया  (४०), जो ग्वालियर में ही रहते थे, रेडीमेड कपड़ों के धंधे में थे और अपना माल दिल्ली ख़ुद ही जाकर लेकर आते थे।
एक दिन जब मैं अपने घर पहुँचा तो भैया  वहाँ थे, और मम्मी से बातें कर रहे थे। मैंने भैया  से पूछा – “अब नये कपड़े कब आ रहे हैं?”
“बस आज ही लाने जा रहा हूँ। पर इस बार माल दिल्ली से नहीं, मुम्बई से लेकर आना है। वहाँ एक नामी कम्पनी से मेरी बात तय हो गई है। मुझे वहाँ से आने में चार-पाँच दिन तो लग ही जाएँगे। तब तक मैं चाहता हूँ कि तुम दिन में एक बार ज़रा दुकान जाकर काम देख लेना और रात में मेरे घर चले जाना।”
“तू अपेक्षा  और बच्चों को यहीं क्यों नहीं छोड़ देता?” मेरी मम्मी ने पूछा।
“मैंने अपेक्षा  से कहा था कि बच्चों के साथ दीदी के यहाँ रह लेना, पर वह कह रही थी कि चार-पाँच दिनों के लिए आप लोगों को क्यों परेशान करना, बस नन्द को बोल देना, वो तुम्हारे आने तक हमारे यहाँ ही आ जाए और दुकान को भी काम देख ले। नौकरों के भरोसे दुकान छोड़ना ठीक नहीं। तुझे कोई दिक्क़त तो नहीं?” – भैया  बोले।
“अभी तो मैं पूरा खाली ही हूँ। परीक्षाएँ भी खत्म हो चुकी हैं। चलिए एक अनुभव के लिए आपकी दुकान को भी सँभाल लेते हैं (और भाभी को भी)।”
“आज ८ बजे मेरी ट्रेन है, तू सात बजे घर आ जाना और मुझे स्टेशन छोड़ कर वापिस मेरे घर ही चले जाना।”
“ठीक है मैं ६:३० बजे आ जाऊँगा।”
६:३० बजे मैं भैया  के घर पहुँच गया, भैया  सफ़र की तैयारी कर रहे थे और भाभी पैकिंग में भैया  की मदद कर रही थी। पैकिंग के बाद भाभी ने भैया  को खाना दिया और मुझे भी खाने के लिए पूछा।
“भैया  को छोड़कर आता हूँ, फिर खा लूँगा।” मैंने कहा।
७:३० बजे भैया  और मैं स्टेशन पहुँच गए। भैया  की ट्रेन सही समय पर आ गई, भैया  का आरक्षण था, भैया  अपनी सीट पर जाकर बैठ गए और पाँच मिनट के बाद ट्रेन मुम्बई के लिए चल पड़ी। चलते-चलते भैया  बोले,”भाभी और बच्चों का ख्याल रखना।”
“आप यहाँ की फिक्र ना करें, मैं भाभी और बच्चों का पूरा ख्याल रखूँगा।”
मैंने स्टैण्ड से अपनी बाईक ली और ८:३० तक घर आ गया। मैंने दरवाज़े की कॉलबेल बजाई तो भाभी ने दरवाज़ा खोला और बोली,”हाथ-मुँह धो लो, अब हम खाना खा लेते हैं।”
“आपने अभी तक काना नहीं खाया?” मैंने पूछा।
“बस तुम्हारा ही इन्तज़ार कर रही थी। अनु  और मोनू तो खाना खाकर सो गए हैं। तुम भी खाना खा लो।”
मैं और भाभी डिनर की टेबल पर एक-दूसरे के आमने-सामने बैठ कर खाना खा रहे थे। जब भाभी निवाला खाने के लिए थोड़ा झुकती उनकी चूचियों की गहराईयों के दर्शन होने लगते और मेरा लंड विचलित होने लगता। पर स्वयं को सँभाल कर मैंने खाना खतम किया और टीवी चालू कर लिया। उस समय आई पी एल मैच चल रहे थे, मैं मैच देखने लगा।
कुछ देर बाद भाभी बर्तन साफ करने लगी और वह भी मैच देखने लगी। जल्दी ही उसे नींद आने लगी। “मैं तो सोने जा रही हूँ, तुम भी हमारे कमरे में ही सो जाना, तुम डबल बेड में बच्चों के एक तरफ ही सो जाना” भाभी बोली।
“ठीक है, बस एक घन्टे में मैच खत्म होने वाला है। आप सो जाओ, मैं मैच देखकर आता हूँ।”
भाभी चली गई और मैं मैच देखने लगा।
कुछ देर बाद बाद ब्रेक हुआ और मैं चैनल बदलने लगा, और एक लोकल चैनल पर रुक गया। डिश वाले एक ब्लू-फिल्म प्रसारित कर रहे थे। अब काहे का मैच, मैं तो उसी चैनल पर रुक गया और वो ब्लू-फिल्म देखने लगा और मेरा लंड हिचकोले मारने लगा।
मेरा साढ़े पाँच इंच का लंड लोहे की तरह सख्त होकर तन गया, मैं अपनी पैंट के ऊपर से ही उसे सहलाने लगा। मेरा लंड चूत के लिए फड़फड़ाने लगा और मेरी आँखों के सामने भाभी का नंगा बदन घूमने लगा और मैं भाभी के नाम से मूठ मारने लगा। मैं मन ही मन भाभी को चोद रहा था, कुछ देर बाद लंड ने एक पिचकारी छोड़ दी। मेरा वीर्य लगभग पाँच फीट दूर छिटका, और यह बस भाभी के नाम का कमाल था।
अब मेरा दिमाग भाभी को हर हाल में चोदने के बारे में सोचने लगा, तब तक फिल्म भी खत्म हो गई थी। मैंने टीवी बन्द किया और बेडरूम की ओर चल दिया। जैसे ही मैंने कमरे की बत्ती जलाई, मेरी आँखें फटी रह गईं। बिल्लू और मोनू, दोनों दीवार की ओर सो रहे थे, और भाभी बीच बिस्तर में। उनकी साड़ी घुटनों के ऊपर तक उठ गई थी और उनकी गोरी-गोरी जाँघें दिख रहीं थीं। उनका पल्लू बिखरा हुआ था, ब्लाउज़ के ऊपर के दो हुक खुले थे और काली ब्रा साफ-साफ दिख रही थी। भाभी एकदम बेसुध सो रहीं थीं।
मैंने तुरन्त लाईट बन्द की और अपने लंड को सहलाते हुए सोचा,’क़िस्मत ने साथ दिया तो समझ हो गया तुम्हारा जुगाड़ !’
मैं जाकर भाभी के पास लेट गया, भाभी एकदम गहरी नींद में थी। मैंने एक हाथ भाभी के गले पर रख दिया और हाथ को नीचे खिसकाने लगा। अब मेरा हाथ ब्लाउज़ के हुक तक पहुँच गया। मैं आहिस्ते-आहिस्ते हुक खोलने लगा। तभी भाभी बच्चों की ओर पलट गई, इससे मुझे हुक खोलने में और भी आसानी हो गई और मैंने सारे हुक खोल दिए। ब्रा के ऊपर से ही भाभी की चूचियों को सहलाने लगा।
भाभी के स्तन एकदम मुलायम थे। पर ब्रा ने उन्हें ज़ोरों से दबा रखा था, इस कारण ऊपर पकड़ नहीं बन रही थी। मैं अपना हाथ भाभी की ब्लाउज़ के पीछे ले गया और ब्रा के हुक को भी खोल दिया। अब दोनों स्तन एकदम स्वतंत्र थे। मैं उन आज़ाद हो चुके बड़े-बड़े स्तनों को हल्के-हल्के सहलाने लगा, फिर मैं एक हाथ उनकी जाँघ पर ले गया और ऊपर की ओर ले जाने लगा पर एक डर सा भी लग रहा था कि कहीं भाभी जाग ना जाए। पर जिसके लंड में आग लगी हो वो हर रिस्क के लिए तैयार रहता है और लंड की आग को सिर्फ चूत का पानी ही बुझा सकता है।
हिम्मत करके मैं अपने हाथ को ऊपर ले जाने लगा। जैसे-जैसे मेरा हाथ चूत के पास जा रहा था, मेरा लंड और तेज़ हिचकोले मार रहा था।
अब मेरा हाथ भाभी की पैन्टी तक जा पहुँचा था। पैन्टी के ऊपर से ही मैंने हाथ चूत के ऊपर रख दिया। चूत बहुत गीली थी और भट्टी की तरह तप रही थी। मैंने साड़ी को ऊपर कर दिया और पैन्टी को नीचे खिसकाने लगा। थोड़ी मेहनत के बाद मैं पैन्टी को टाँगों से अलग करने में कामयाब रहा।
अब मैं हाथ को चूत के ऊपर ले गया और चूत को प्यार से सहलाने लगा। भाभी अभी तक शायद गहरी नींद में थी। मैंने एक हाथ भाभी की कमर पर रखा और उन्हें सीधा करने लगा।
भाभी एक ही झटके से सीधी हो गई। मैं अपनी टाँग को भाभी की टाँगों के बीच ले गया और भाभी की टाँगों को फैला दिया। अब मैं नीचे खिसकने लगा और मैं जैसे ही चूत चाटने के लिए मुँह चूत के पास ले गया, भाभी ने हाथ से चूत को ढँक लिया।
मेरी तो गाँड फट गई, रॉड की तरह तना हुआ लौड़ा एकदम मुरझा गया, दिल धाड़-धाड़ धड़कने लगला।
तभी भाभी उठी और फुसफुसाकर बोली,”ये सब यहाँ नहीं। अनु  और मोनू जाग सकते हैं। अब तक तो मैंने किसी तरह अपनी सिसकियाँ रोक रखीं थीं पर अब नहीं रोक सकूँगी। हम ड्राईंगरूम में चलते हैं।”
इतना सुनते ही मेरा लंड फिर से क़ुतुबमीनार बन गया। भाभी जैसे ही बिस्तर पर से उठी, मैंने भाभी को अपनी बाँहों में भर लिया और उनके होंठों को चूमने लगा। वह भी मेरे होंठों पर टूट पड़ी। हम एक-दूसरे के होंठों को पागलों की तरह निचोड़ने लगे।
मैं उनके होंठों को चूमते हुए अपने दोनों हाथ उनकी गांड तक ले गया और उन्हें उठा लिया। भाभी ने अपने पैर मेरी कमर के गिर्द लपेट दिए। मैं उन्हें चूमते हुए ड्राईंगरूम तक ले आया और भाभी को लेकर सोफे पर बैठ गया।
भाभी मेरी गोद में थी, ब्लाउज़ और ब्रा अभी भी भाभी के कंधों से लटक रहे थे। पहले मैंने ब्लाउज़ को निकाल फेंका, फिर ब्रा और एक चूची को हाथ से मसलने लगा और साथ ही दूसरी चूची को चाटने लगा।
अब साड़ी की बारी थी, मैंने साड़ी भी निकाल फेंकी, अब पेटीकोट बेचारे का भी शरीर पर क्या काम था। अब भाभी एकदम नंगी हो चुकी थी। लाल नाईट-बल्ब की रोशनी में भाभी का नंगा बदन पूर्णिमा में ताज़ की तरह चमक रहा था और इस वक्त मैं इस ताजमहल का मालिक था।
अब भाभी मेरे कपड़े उतारने लगी। मेरे सारे कपड़े उन्होंने उतार दिए और मैं सिर्फ अपनी फ्रेंची अण्डरवियर में रह गया पर वह भी अधिक देर न रह सका। उन्होंने वह भी एक ही झटके में उतार फेंकी और फिर भाभी ने मेरे साढ़े पाँच इंच लम्बे विकराल लंड को लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी।
कभी भाभी लंड पर, तो कभी अंडकोष से सुपाड़े तक जीभ फिराती, कभी लंड को हल्के से काटती, सुपाड़े पर थूकती और फिर उसे चाट जाती। मेरा तो बुरा हाल कर दिया और मेरे लंड ने भाभी के मुँह पर अपनी पिचकारी मार दी। उनका पूरा चेहरा मेरे वीर्य से सन गया था। मैंने अपने दोनों हाथों से सारा वीर्य उनके चेहरे पर मल दिया।
“दूसरी बार में भी इतना माल? तेरा लंड है या वीर्य का टैंक?” – भाभी ने कहा।
मैं यह सुनकर हैरान हो गया, मेरी हैरानी जानकर उन्होंने बताया – “जब तू ब्लू-फिल्म देख रहा था और मेरे नाम से मूठ मार रहा था तब मैं पानी पीने के लिए रसोईघर में आई थी और तेरे लंड की धार को देख कर मेरी कामवासना की प्यास जाग गई और मैं बेडरूम में अपने कपड़ों को जान-बूझ कर अस्त-व्यस्त कर लेट गई थी। वहाँ आने के बाद अगर तू ऐसी हरकतें नहीं करता तो आज मैं ही तेरा बलात्कार कर देती।”
“तरबूज़ तलवार पर गिरे या तलवार तरबूज़ पर, कटना तरबूज़ को ही है। अब तो आज रात सचमुच में बलात्कार होगा। आज रात अगर आपसे रहम की भीख न मँगवाई तो मेरा भी नाम नन्द नहीं।” मैंने कहा।
“चल देखते हैं, कौन रहम की भीख माँगता है !” भाभी ने भी ताना सा मारा।
भाभी के ऐसा कहते ही मैंने भाभी को ज़मीन पर लिटा दिया और उनकी चूत पर टूट पड़ा, अपनी जीभ को चूत में जितना हो सकता था अन्दर डाल दिया और जीभ हिलाने लगा। चूत के गुलाबी दाने को जैसे ही मैं हल्के-हल्के काटता-चूसता, वह तड़प उठती और आआहहहहहह आआहह्ह्हहहह करने लगती।
उसने टाँगों से मेरे सिर को जकड़ लिया और टाँगों से ही सिर को चूत में दबाने लगी और बालों में हाथ फेरने लगी। मैं चूत-अमृत पीते हुए दोनों स्तनों को मसल रहा था… तभी अचानक भाभी का शरीर अकड़ने लगा उनकी चूत ज़ोरदार तरीके से झड़ने लगी।
मैंने चूत को चाटकर साफ कर दिया और जैसे ही मैं भाभी के ऊपर आने को हुआ, भाभी ने मुझे रोका और गेस्ट-रूम की ओर इशारा किया। मैं समझ गया कि वह उस कमरे में चलने को कह रही है। मैंने उन्हें गोद में लिया और चूमते हुए उस कमरे में ले आया। लाईट जलाई तो देखा, वहाँ एक सिंगल बेड था। मैंने पंखा चालू किया और उन्हें बिस्तर पर पटक दिया और उनके ऊपर आ गया। मैंने उनके होंठों को चूमते हुए अपनी टाँगों से उनकी टाँगे चौड़ी कीं।
अब मेरा लंड भाभी की चूत के ऊपर था। मैंने अपने हाथों को सीधा किया और धक्के मारने की मुद्रा में आ गया। अब मैं अपनी कमर को नीचे करता और लंड को चूत से स्पर्श करते ही ऊपर कर लेता। कुछ देर ऐसा करने के बाद भाभी बोली,”अब मत तड़पाओ, मेरी चूत में आग लग रही है, इसमें अपना लंड अब डाल दो और मेरी चूत की आग को शान्त करो, मैं तुम्हारे हाथ जोड़ती हूँ।
इस बार मैंने लण्ड चूत पर रखा और धीरे-धीरे नीचे होने लगा और लण्ड चूत की गहराईयों में समाने लगा। चूत बिल्कुल गीली थी, एक ही बार में लण्ड जड़ तक चूत में समा गया और हमारी झाँटे आपस में मिल गईं। अब मेरे झटके शुरु हो गए और भाभी की सिसकियाँ भी… भाभी आआआहहहहह अअआआआआहहहह करने लगी। कमरा उनकी सिसकियों से गूँज रहा था।
जब मेरा लण्ड उनकी चूत में जाता तो फच्च-फच्च और फक्क-फक्क की आवाज़ होती। मेरा लण्ड पूरा निकलता और एक ही झटके मे चूत में पूरा समा जाता। भाभी भी गाँड हिला-हिला कर मेरा पूरा साथ दे रही थी। मैंने झटकों की रफ्तार बढ़ा दी, अब तो खाट भी चरमराने लगी थी। पर मेरी गति बढ़ती जा रही थी। हम दोनों पसीने से नहा रहे थे। पंखे के चलने का कोई भी प्रभाव नहीं था।
दोनों के चेहरे एकदम लाल हो रहे थे पर हम रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। झटके अनवरत जारी थे। कभी मैं भाभी के ऊपर तो कभी भाभी मेरे ऊपर आ जाती। दोनों ही चुदाई का भरपूर मज़ा ले रहे थे। पूरे कमरे में बस कामदेव का राज था। हम दोनों एक-दूसरे की आग को बुझा रहे थे। तभी हमारे शरीर अकड़ने लगे।
दोनों झड़ने वाले थे। मैं लण्ड को बाहर निकालने वाला ही था कि भाभी ने रोक दिया और बोली – “अपना सारा माल चूत के अन्दर ही छोड़ दो।”
मैंने भी झटके चालू रखे। हम दोनों ने एक-दूसरे को भींच लिया। भाभी ने टाँगों और हाथों को मेरे शरीर पर लपेट दिया। मैंने भाभी के कंधों को कसकर पकड़ लिया और एक ज़ोरदार झटका मारा। मैं और भाभी एक ही साथ झड़े थे। भाभी की चूत मेरे वीर्य से भर गई।
वीर्य चूत से बह रहा था। मेरा मुँह अपने-आप चूत पर पहुँच गया और मैं भाभी की चूत को चाट-चाट कर साफ करने लगा।
भाभी ने भी मेरे लंड को चूस-चूस कर साफ कर दिया और हम दोनों एक-दूसरे के बगल में लेट गए, पर भाभी का हाथ मेरे लंड पर था और मैं भाभी के बालों को सहला रहा था।
भैया  के आने तक मैं और भाभी पति-पत्नी की तरह रहे। मैं सुबह को दुकान का एक चक्कर लगा आता। दिन में हम नींद ले लेते और रात को…
भैया  के आने के बाद भी जब भी मौक़ा मिलता, मैं उसको छोड़ता नहीं।