Friday 7 December 2012

Kuwari chut aur mera lund चुदाई की कहानियां

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Pahla Sex Bathroom me पहला सेक्स बाथरूम में (चुदाई की कहानियां)

मेरा नाम मेहराना है। अभी मेरी उम्र 24 साल की है। अभी तक कुवारीं हूँ। लेकिन इसका मतलब ये नहीं की मेरी चूत भी कुवारी हैं। ये तभी चुद गयी थी जब मेरी उम्र 13 साल भी नहीं हुई थी।
तब मै आठवीं कक्षा में पढ़ती थी। उस दिन घर में मेरी अम्मा भी नहीं थी। मै और मेरा भाई जो कि मुझसे 5 साल छोटा था घर पर अकेले थे। उस दिन स्कूल की छुट्टी थी। इसलिए मै घर के काम कर रही थी। मेरा छोटा भाई पड़ोस में खेलने चला गया था। मै बाथरूम में नहाने चली गयी। अपने सारे कपडे मैंने हॉल में ही छोड़ दिए और नंगी ही बाथरूम में चली गयी। क्यों कि घर में तो कोई था नहीं इसलिए किसी के देखने का कोई भय भी नहीं था। बाथरूम में आराम से मै अपने चूत को सहलाने । सहलाते सहलाते अपने चूत में ऊँगली डाल ली। पूरी ऊँगली अन्दर चली गयी। बड़ा ही मज़ा आया। अन्दर चूत में ऊँगली का स्पर्श साफ़ महसूस हो रहा था। मै अपने ऊँगली को चूत में घुमाने लगी। मुझे लगा कि शायद चूत में अभी भी बहूत जगह इसमें खाली है। मैंने बाथरूम में रखा हुआ पुराना टूथब्रुश लिया और उलटे सिरे से पकड़ कर अपने बुर में डाल लिया। मै नीचे जमीन पर बैठ गयी और अपनी दोनों टांगो को पूरी तरह फैला दिया। इस से मुझे अपने बुर में ब्रश डालने में काफी आसानी हुई। अब मुझे बहूत ही मज़ा आने लगा। इतना मज़ा आ रहा था कि पेशाब निकलने लगा। करीब आधे घंटे तक मैंने अपने चूत में कभी शेम्पू तो कभी नारियल तेल डाल डाल के मज़ा लेती रही। और ब्रश से चूत की सफाई भी करती रही। थोड़े देर के बाद मै नहा कर वापस अपने कमरे में आ गयी। थोड़ी देर के बाद मेरा छोटा भाई भी बाहर से आ गया।
उसी शाम में मेरी अम्मा के दूर के रिश्ते में भाई लगने वाले एक रिश्तेदार मेरे यहाँ आ धमका । उसकी उम्र रही होगी कोई 20-21 साल की। उनको मेरी अम्मा से कुछ काम था। लेकिन अम्मा तो कल शाम में आने वाली थी। मैंने अम्मा को फोन कर के उसके बारे में बताया तो अम्मा बोली आज रात को उसे अपने घर में ही रुकने के लिए बाहरी कमरा दे देना।
रात को खाना पीना खा कर सभी चुपचाप सो गए। रात 11 बजे मुझे पिशाब लग गया। मै बाथरूम गयी तो मुझे फिर से वही सुबह में चूत में ब्रश डालने वाली घटना याद आ गयी। मुझे फिर से अपने बुर में ब्रश डालने का मन करने लगा। मैंने अपने सारे कपडे खोल कर अपने बुर में ब्रश डाल कर मज़े लेने लगी। मुझे अपने बाथरूम का दरवाजा बंद करने का भी याद नहीं रहा। मै दीवार की तरफ मुह कर के अपने चूत में ब्रुश डाल कर मज़े ले रही थी।
तभी पीछे से आवाज आई- ये क्या कर रही हो मेहराना?
ये सुन कर मै चौंक गयी। मैंने पलट कर देखा तो मेरा मामू मसूद ठीक मेरे पीछे खडा था। वो सिर्फ एक तौलिया पहने हुए था.
मैंने कहा - आप यहाँ क्या कर रहे हैं मामूजान?
वो बोला- मुझे पिशाब लगा था इसलिए मै यहाँ आया था तो देखा कि तुम कुछ कर रही हो।
मै अब क्या कहूं क्या नहीं? हड़बड़ी में मैंने कह दिया - देखते नहीं ये साफ़ कर रही हूँ। इसकी सफाई भी तो जरूरी है न? वैसे तुम यहाँ पिशाब करने आये हो ना तो करो और जाओ।
उसने कहा - मै तो यहाँ पिशाब करने आया था ।
मैंने कहा - ठीक है तुम तब तक पिशाब करो मै अपना काम कर रही हूँ।
दरअसल मै उसकी लंड देखना चाहती थी। सोच रही थी कि जब इसने मेरा चूत देख लिया है तो मै भी इसके लंड को देख कर हिसाब बराबर कर लूं।
मसूद - तुम यहीं रहोगी?
मैंने कहा- हाँ। तुम्हे इस से क्या? ये मेरा घर है । मै कहीं भी रहूँ।
उसने कहा- ठीक है।
और उसने अपना तौलिया खोल दिया । और पूरी तरह से नंगा हो गया। मुझे सिर्फ उसकी लंड देखना था। उसका लंड मेरे अनुमान से कहीं बड़ा और मोटा था। उसकी लंड किसी मोटे सांप की तरह झूल रहा था। वो मेरे सामने ही कमोड पर बैठ गया। उस ने अपने लंड को पकड़ा और उस से पेशाब करने लगा। यह देख मै बहूत आश्चर्यचकित थी कि इतने मोटे लंड से कितना पिशाब निकलता है? पिशाब करने के बाद उसने अपने लंड को झाड़ा और सहलाने लगा।

उसने कहा - तुम अपने चूत की सफाई ब्रश से करती हो?
मैंने कहा - हाँ.
उसने कहा - क्या तुम अपने चूत के बाल भी साफ़ करती हो?
मैंने कहा - चूत के बाल? मेरे चूत में बाल तो नहीं हैं.
उसने कहा - चूत के अन्दर नहीं चूत के ऊपर बाल होते हैं .जैसे मेरे लंड के ऊपर बाल है ना उसी तरह.
कह कर वो अपने लंड के बाल को खींचने लगा.
मैंने पूछा - तुम्हारे लंड पर ये बाल कैसे हो गए हैं?
वो बोला - जब तुम बड़ी हो जाओगी तो तुम्हारे चूत पर भी बाल हो जायेंगे।
मैंने कहा - तुम्हारा लंड तो इतना बड़ा है कि लटक रहा है। क्या मेरा बुर भी बड़ा होने पर इतना ही बड़ा और लटकने लगेगा?
वो हंस के बोला- अरे नहीं पगली, भला बुर भी कहीं लटकता है? हाँ वो कुछ बड़ा हो जायेगा। फिर बोला- तुम एक जादू देखोगी? अगर तुम मेरे इस लंड को छुओगी तो ये कैसे और भी बड़ा और खड़ा हो जाएगा।
मुझे बहूत ही आश्चर्य हुआ ।
मैंने कहा - ठीक है। दिखाओ जादू .
वो कमोड पर से उठ गया। और मेरे पास आ गया। उसने अपने लंड को अपने हाथों से पकड़ कर कहा - अब इसको छुओ। मैंने उसके लंड को पकड़ लिया। ऐसा लग रहा था कि कोई गरम सांप पकड़ लिया हो। उसने मेरे हाथ को अपने हाथ से दबाया और अपने लंड को घसवाने लगा। थोड़ी ही देर में मैंने देखा कि उसकी लंड सांप से किसी लकड़ी के टुकड़े जैसा बड़ा हो गया , एकदम कड़ा और बड़ा। उसे बड़ा ही आनंद आ रहा था। उसने अचानक मेरा हाथ छोड़ दिया। लेकिन मै उसके लंड को घसती ही रही। थोड़ी देर में देखा उसके लंड से चिपचिपा सा पानी निकल रहा था जो शेम्पू की तरह था। वो कराहने लगा.
मैंने कहा -ये क्या है?
वो बोला - हाय मेहराना, ये लंड का पानी है। बड़ा ही मज़ा आता है। तू भी अपने चूत से ऐसा ही पानी निकालेगी तो तुझे भी बड़ा मज़ा आयेगा.
मैंने कहा - लेकिन कैसे?
वो बोला - आ इधर मै तुझे बता देता हूँ.
मैंने कहा - ठीक है , बता दो।
उसने मुझे कमोड पर बैठा दिया और मेरी दोनों टांगों को फैला दिया। वो मेरे बुर को अपने मुह से चूसने लगा। मुझे बहूत ही अच्छा लग रहा था। उसने मेरी बुर में अपनी जीभ डाल दी। मेरे से रहा नहीं गया और मेरे बुर से पिशाब निकलने लगा। लेकिन वो हटा नहीं और पेशाब पीने लगा। मै तो एक दम पागल सी हो गयी। उस समय तो मेरी चूची भी नहीं निकली थी। लेकिन वो मेरी निपल को ऐसे मसल रहा था लगा मानो वो मेरी चूची मसल रहा है। पेशाब हो जाने के बाद भी वो मेरे बुर को चूसता रहा।
फिर अचानक बोला - आ नीचे लेट जा ।
मैंने कहा - क्यों मामू?
वो बोला - अरे आ ना. तुझे और मस्ती करना बताता हूँ.
मै चुपचाप बाथरूम के फर्श पर लेट गयी। फर्श पर मेरे ही पिशाब पड़े हुए थे। उसने मेरे दोनों पैरों को उठा कर अपने कंधे पर रख दिया और मेरे बुर में ऊँगली डाल कर ऊँगली को बुर में घुमाने लगा। मुझे मज़ा आ रहा था।
वो बोला - अरे तेरा बुर तो बहूत बड़ा है। ये ब्रश से थोड़े ही साफ़ किया जाता है? आ इसकी मै सफाई अपने लंड से कर देता हूँ।
मैंने कहा - अच्छा मामू, लेकिन ठीक से करना।
मामू ने कहा - हाँ मेहराना, देखना कैसी सफाई करता हूँ.
उसने बगल से नारियल तेल लिया और मेरे चूत के अन्दर उड़ेल कर उंगली डाल कर मेरी चूत का मुठ मारने लगा.
मस्ती के मारे मेरी तो आँखे बंद थी. उसने पहले एक उंगली डाली. फिर दो और फिर तीन उंगली डाल कर मेरे चूत को चौड़ा कर दिया. थोड़ी ही देर में उसने मेरे चूत के छेद पर अपना लंड रखा। और अन्दर घुसाने की कोशिश करने लगा। मुझे हल्का सा दर्द हुआ तो मै कराह उठी।
वो रुक गया और बोला क्या हुआ मेहराना?
मैंने कहा - तेरा लंड बहूत बड़ा है। ये मेरी बुर में नहीं घुसेगा।
वो बोला - रुक जा मेहराना. तू घबरा मत. बस मेरे लंड को देखती रह.
हालांकि मेरी हिम्मत नहीं थी कि इतने मोटे लंड को अपनी बुर में घुसवा लूं लेकिन मै भी मज़े लेना चाहती थी। इसलिए मैंने कुछ नहीं कहा। अब उसने मेरे बुर के छेद पर अपना लंड रखा और धीरे धीर रुक रुक कर अपने लंड को मेरे बुर में घुसाने लगा। मुझे थोडा दर्द तो हो रहा था लेकिन तेल कि वजह से ज्यादा दर्द नहीं हुआ। उसने पूरा लंड मेरे बुर में डाल दिया। मुझे बहूत आश्चर्य हो रहा था कि इतना मोटा और बड़ा लंड मेरे छोटे से बुर में कैसे चला गया। वो मेरी बुर में अपना लंड डाल कर थोड़ी देर रुका रहा।
फिर बोला- दर्द तो नहीं कर रहा ना?
मैंने कहा- थोडा थोडा ।
फिर उसने थोडा सा लंड को बाहर निकाला और फिर धीरे से अन्दर कर दिया। मुझे मज़ा आने लगा। वो धीरे धीरे यही प्रक्रिया कई बार करता रहा। अब मुझे दर्द नहीं कर रहा था। थोड़ी देर के बाद उसने अचानक मेरे बुर को जोर जोर से धक्के मरने लगा।
मैंने पूछा - ये क्या कर रहे हो?
वो बोले- तेरे बुर की सफाई कर रहा हूँ।
मुझे आश्चर्य हुआ- अच्छा ! तो इस को सफाई कहते है?
वो बोला - हाँ मेरी जान. ये चूत की सफाई भी है और चुदाई भी.
मैंने कहा - तो क्या तुम मुझे चोद रहे हो?
वो बोला - हाँ. कैसा लग रहा है?
मैंने कहा - अच्छा लग रहा है.
वो बोला - पहले किसी को चुदवाते हुए देखा है?
मैंने कहा - देखा तो नहीं है , लेकिन अपने स्कूल में सीनियर सेक्शन की लड़कियों के बारे में सूना है कि वो अपने दोस्तों से चुदवाती हैं. तभी से मेरा मन भी कर रहा था कि मै भी चुदवा लूं. लेकिन मुझे पता ही नही था कि कैसे चुदवाऊं?
वो बोला - अब पता चल गया ना?
मैंने कहा - हाँ मामू.
थोड़ी देर में उसने मुझे कस के अपनी बाहों में पकड़ लिया और अपनी आँखे बंद कर के कराहने लगा। मुझे अपने चूत में गरम गरम सा कुछ महसूस हो रहा था।
मैंने पूछा - क्या हुआ मामू? मेरे चूत में गरम सा क्या निकाला आपने?
वो बोला - कुछ नहीं मेरी जान . वो मेरे लंड से माल निकल गया है।
थोड़ी देर में उसने मेरे चूत से से अपना लंड निकाला और खड़ा हो गया। मैंने अपने चूत की तरफ देखा कि इस से खून निकल रहा था. मै काफी डर गयी और मामू को बोली - मामू, ये खून जैसा क्या निकल गया मेरे चूत से?
हालांकि वो जानता था कि मेरी चूत की झिल्ली फट गयी है. लेकिन उसने झूठ का कहा - अरे कुछ नहीं. ये तो मेरा माल है. जब पहली बार कोई लड़की चुदवाती है तो उसके चूत में माल जा कर लाल हो जाता है. आ इसे साफ़ कर देता हूँ।
मै थोड़ा निश्चिंत हो गयी.
फिर हम दोनों ने एक साथ स्नान किया. उस ने मुझे अच्छी तरह से पूरा नहला - धुला कर सब साफ़ कर दिया. और फिर हम दोनों अपने अपने कपडे पहन कर अपने अपने कमरे में चले गए।
सुबह जब मेरा छोटा भाई स्कूल चला गया तो मै उसे चाय देने गयी.
उसने मुझसे कहा - कैसी हो मेहराना?
मैंने कहा - ठीक ही हूँ.
उसने कहा - तेरी चूत में दर्द तो नही है ना?
मने कहा - दर्द तो है लेकिन हल्का हल्का. कोई दिक्कत तो नहीं होगी ना मामू?
मामू ने कहा - अरे नहीं पगली. पहली बार तुने अपने चूत में लंड लिया था न इसलिए ऐसा लग रहा है. और देख.. किसी को कल रात के बारे में मत बताना। नहीं तो तुझे सब गन्दी लड़की कहेंगे।
मैंने कहा - ठीक है, लेकिन एक शर्त है.
वो बोला- क्या?
मैंने कहा - एक बार फिर से मेरी बुर की सफाई करो लेकिन इस बार बाथरूम में नहीं बल्कि इसी कमरे में।
वो बोला - ठीक है आ जा।
और मैंने उसके कमरे का दरवाजा लगा कर फिर से अपनी चूत चुदवाई। वो भी 2 बार । वो भी बिलकूल फ्री में।
दोपहर में अम्मा आ गयी. अम्मा के आने के बाद भी वो मेरे यहाँ अगले पांच दिन जमा रहा. इस पांच दिन में मैंने आठ बार अपनी चूत उस से साफ़ करवाई.
इसके बाद न जाने कितने मर्दों के लंड को अपने चूत और गांड में डाल चुकी हूँ मुझे अब याद भी नहीं।

Kunvari chut कुंवारी बुर (चुदाई की कहानियां)

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Lund bada ya chota nahi hota लंड छोटा या बड़ा नही होता (चुदाई की कहानियां)

लंड छोटा या बड़ा नही होता
मेरा नाम रेमो है. मेरी उम्र २४ साल है. मै एक अमीर घर का इकलौता वारिस हूँ. मेरे घर पर मेरे पापा और मम्मी के अलावा और कोई नहीं रहता. मेरे पापा एक बिजनसमैन हैं. मम्मी गहर पर ही रहती हैं. घर काफी बड़ा होने के कारण घर के काम काज करने घर में एक नौकरानी भी रख ली गयी है. नौकरानी का नाम मोहिनी है. उम्र कोई ३५-३६ साल की होगी. देखने में काफी खुबसूरत भी थी. मेरा ध्यान उस पर नही जाता था. मै अपने कालेज से आ कर सीधे अपने कमरे में चला जाता और अपना काम करता.
मोहिनी सुबह के छः बजे ही आ जाती थी जब सभी कोई सोये रहते थे. वो आ कर सबसे पहले सभी कमरों की सफाई करती थी. एक रात मै अपने कंप्यूटर पर ब्लू फिल्म देख रहा था. उस दिन घर में पापा और मम्मी नहीं थे . वो दोनों मेरे मामा के यहाँ गए थे. मै आराम से नंगा हो कर पूरी रात फिल्म देखता रहा. फिल्म देखने के दौरान मैंने ३ बार मुठ मार लिया. मै कब नंगे ही निढाल हो कर बिस्तर पर सो गया की मुझे पता भी नहीं चला. सुबह के छः बजे मोहिनी मेरे घर आई. उसके पास भी मेरे घर की एक चाभी रहती थी. इसलिए मुझे पता भी नही चला की मोहिनी आई है. और मै नंगा ही सोया हुआ था. मोहिनी मेरे कमरे में अचानक आ गयी. उसने मुझे नंगा सोया हुआ देखा तो वो मुझे वापस नहीं लौट मेरे कमरे की सफाई करने लगी. सफाई कर के वो वापस दुसरे कमरे में चली गयी. उसकी ड्यूटी सुबह छः बजे से शाम ७ बजे तक की थी. आज मम्मी पापा थे नहीं इसलिए उसे नाश्ता भी बनाना था. मै सुबह के नौ बजे उठा. मैंने अपने आप को नंगा पाया तो सोचा चलो कोई बात नहीं किसने मुझे देखा है? अचानक कमरे में नजर दौड़ायी तो देखा हर सामान करीने से रखा हुआ है. तो क्या मोहिनी मेरे कमरे में आयी थी? क्या उसने मुझे नंगा देख लिया? मै सोच कर शर्मा गया. मै सोचा क्या सोचती होगी वो. मेरी तो सारी इज्ज़त मिटटी में मिल गयी. खैर मैंने कपडे पहने और अपने कमरे से बाहर आया. देखा मोहिनी किचन में काम कर रही थी. थोड़ी देर के बाद जब मै फ्रेश हो गया तो मैंने मोहिनी से नाश्ता मांगा. उसने मुझे पराठा और सब्जी ला कर दी. मै चुप चाप खाता रहा.
मैंने धीरे से पूछ लिया - मेरे कमरे की सफाई तुमने कर दी?
मोहिनी ने कहा- हाँ.
मैंने कहा - कब?
मोहिनी ने कहा - जब आप सोये हुए थे.
मेरा गाल शर्म से लाल हो गया. मैंने थोड़े गुस्से में कहा- मुझे जगा कर ना मेरे कमरे में आना चाहिए था?
मोहिनी ने लापरवाही से कहा- क्यों? पहले तो कभी जगा कर कमरे में नही जाती थी. आप कितनी बार सोये रहते और मै आपके कमरे की सफाई कर देती हूँ. फिर आज मै क्यों आपको जगा कर आपके कमरे में जाती?
बात भी सही थी. मैंने कहा- मम्मी को नहीं बता देना आज सुबह के बारे में.
मोहिनी ने कहा- चिंता नहीं करें. नहीं बताऊँगी. अरे आप जवान है. ये सब तो चलता रहता है.
मै अब कुछ निश्चिंत हो गया. उसने मुझे जवान होने के कारण कुछह छुट दे दी . मै खा रहा था.
मोहिनी ने कहा- एक बात कहूं रेमो बाबु? बुरा तो नहीं मानोगे?
मैंने कहा - नहीं. बोलो क्या बात है?
मोहिनी ने कहा- आपका हथियार छोटा है. इसे बड़ा कीजिये. नहीं तो आपकी बीबी क्या कहेगी.
कह के वो मुस्कुराने लगी. ये सुन के मेरा दिमाग सन्न रह गया. तो इसने मेरे लंड का साइज़ भी देख लिया. हाँ ये बात सच थी की मेरे लंड का साइज़ छोटा था और मै इस से काफी चिंतित भी रहा करता था. लेकिन मेरे लंड पर टिप्पणी करने का अधिकार मोहिनी को किसने दे दिया. मै अचानक उठा और अपने कमरे में आ कर लेट गया. मुझे मोहिनी पर काफी गुस्सा आ रहा था.
थोड़ी सेर के बाद मेरा गुस्सा कुछ कम हुआ. मै सोचने लगा - सचमुच मेरे लंड का साइज़ छोटा है. जब मेरी शादी होगी तो मेरी पत्नी क्या सोचेगी.? ये सोच कर मै परेशान हो गया. अचानक दिल में ख़याल आया की हो सकता है की मोहिनी को इसे इलाज़ के बारे में कुछ देशी नुस्खा पता हो. मैंने वहीँ से मोहिनी को आवाज लागई. मोहिनी मेरे कमरे में आई.
मैंने मोहिनी से कहा- मोहिनी अगर मै तुमसे एक सवाल पूछोंगा तो तुम बुरा तो नहीं मानोगी?
मोहिनी ने कहा - पहले पूछिए तो सही.
मैंने कहा - मोहिनी, तुमने जो कहा की हथियार यानी लिंग को बड़ा कीजिये . तो क्या कोई उपाय है क्या लिंग को बड़ा करने का?
मोहिनी ने हँसते हुए तपाक से कहा- अरे रेमो बाबु , मै तो मज़ाक कर रही थी, लंड के छोटे बड़े होने से बीबी को थोड़े ही कोई फर्क पड़ता है?
मोहिनी के मुह से लंड शब्द सुन कर मेरे मन में कुछ होने लगा. मेरी नजर कामुक होने लगी. मुझे लग गया कि ये बहूत ही खुली हुई है और इस से कुछ गरम बातें की जा सकती है. वैसे भी घर पर कोई और है नहीं.
मैंने कहाँ- लेकिन बीबी को तो बड़ा लंड चाहिए ना?
मोहिनी ने कहा- मर्द का लंड कितना भी छोटा क्यों ना हो वो बीबी को चोद ही डालता है. बीबी की चुदाई हर लंड से की जा सकती है.
मोहिनी के इतना खुल के बोलने पर मै पूरी तरह से आज़ाद हो गया.
मैंने कहा - अगर बीबी की गांड मारनी हो तो?
मोहिनी ने कहा - वो भी होती है. चूत और गांड सभी आराम से मार सकते हो.
अब मुझे अन्दर से काफी यकीन हो गया की इस से कुछ और भी काम करवाया जा सकता है.
मैंने मोहिनी से कहा- मोहिनी , अगर तुम बुरा नहीं मानो तो क्या तुम मेरे लंड को देख कर बता सकती हो की मेरा लंड कितने पानी में है?
मोहिनी ने कहा- ठीक है. आप पैंट उतारो . मै देखती हूँ आपके लंड को .
मैंने अपनी कमरे की खिड़की को बंद किया और मैंने पैंट उतार दिया. अब मै अंडरवियर में था. मेरा लिंग थोडा थोडा कड़ा हो गया हा. मैंने कहा- बताओ.
मोहिनी ने कहा - अरे बाबा , पूरा दिखाओ ना. ये अंडरवियर उतारो ना.
मेरा दिल जोर से धड़क रहा था. मैंने आज तक किसी मर्द के सामने अपने लंड को नहीं दिखाया ये तो औरत है. लेकिन फिर भी मन में एक अजीब सा आनंद था की कोई औरत स्वयं ही मेरे लंड को देखना चाहती है. इसलिए मैंने थोडा हिचकते हुए अपने अंडरवियर को अपने लंड से थोडा नीचे किये. मेरा लंड सामने आ गया.
मोहिनी ज़मीं पर ठेहुने के बल बैठ गयी और अपना मुह मेरे लंड के सीध में लेते आई. मेरे लंड को वो गौर से देख रही थी . उसने मेरे अंडरवियर को पकड़ा और ज़मीं तक लेते आई. अब मै कमर के नीचे बिलकूल नंगा था. अचानक मोहिनी ने मेरे लंड को पकड़ा और उसे सहलाने लगी. मेरा लंड तनतना गया .
मैंने कहा- ये क्यों कर रही हो?
मोहिनी ने कहा- देख रही हूँ कि कितना बड़ा होता है.
मुझे काफी आनंद आ रहा था. मेरे सामने रात वाली ब्लू फिल्म का सीन दौड़ने लगा. मैंने कहा- मोहिनी, आज तक मैंने किसी औरत का बुर नहीं देखा है तू अपनी बुर मुझे दिखा ना. मै सिर्फ देखूँगा. कुछ करूंगा नहीं.
मोहिने ने कहा- ठीक है. इसमें कौन सी बड़ी बात है. कह कर वो कड़ी हुई और एक झटके में अपनी साडी उठा दी. उसने पेंटी पहन रखी थी. उसने खुद ही अपनी पेंटी खोल दी. मै उसके बुर को एकटक निहार रहा था. चिकना बुर था उसका. चौड़ा और फुला हुआ.
मैंने कहा- ये साडी पूरा खोल ना.
उसने अपनी साडी पूरी तरह से खोल दी. अब वो सिर्फ ब्लाऔज में थी. इधर मेरा लंड तनतना रहा था.
मैंने झट से कहा- मोहिनी मै तेरे बुर को छूना चाहता हूँ.
वो बोली - छुओ ना.
मै उसके बुर को छूने लगा. बिलकूल ही कोमल पत्ते कि तरह बुर था . उसने भी मेरा लंड पकड़ लिया. अब मै कुछ भी करने के लियी आज़ाद था. मैंने एक हाथ उसके बड़े चूची पर रखा और सहलाने लगा. थोड़ी ही देर में उसके चूची को भी नंगा कर दिया. अब वो मेरे सामने बिलकूल नंगीखड़ी थी और मेरा लंड सहला रही थी. मैंने अपना शर्ट भी उतार दिया. मेरा लिंग इनता बड़ा हो गया था कि मैंने कभी कल्पना भी नही की थी कि मेरा लंड इतना बड़ा हो सकता है. मैंने मोहिनी को अपने बिस्तर पर लिटा दिया और उसके बुर को चाटने लगा. मोहिनी २ बच्चों की माँ हो कर भी किसी कुवारी लड़की से कम नहीं थी. उसका बुर और चूची में काफी कडापन था. धीरे धीरे मै ऊपर कि तरफ बढ़ा और उसकी चूची को मुह में ले कर चूसने लगा.
मेरा लंड तनतना रहा था.
मोहिनी ने मेरे लंड को पकड़ कर सहला रही थी. वो बोली- अब मेरे बुर कि चुदाई कीजिये.
मैंने कहा - मुझे नही आता है चुदाई करने.
वो बोली - मेरे बुर में अपने लंड को डालिए ना.
मैंने अपने लंड को एक हाथ से पकड़ा और मोहिनी के बुर में घुसा दिया. जब मेरा लंड मोहिनी के बुर में अन्दर जा रहा था तो मुझे काफी मज़ा आया. मैंने काफी अनादर तक अपना लंड घुसा दिया. मै उसके बुर को चोदना शुरू कर दिया. उसके बुर में जा कर मेरा लंड और भी बड़ा और मोटा हो गया. मोहिनी के मुह से आह आह की आवाज निकलने लगी. बोली - धीरे धीरे कीजिये ना. दर्द होता है.
मुझे महसूस हुआ कि जिस लंड को मै हमेशा छोटा मानता आया हूँ वो किसी महिला के भी बुर में दर्द पैदा करने के लिए काफी है. ५ मिनट की चुदाई के बाद उसके बुर ने पानी छोड़ दिया. १० मिनट तक चुदाई करने के बाद मेरा माल निकलने वाला था. उसे अनुभव हो गया था कि मेरा माल निकलने वाला है. वो बोली - माल अन्दर में मत गिरा दीजिएगा. ज्यों ही मेरा शारीर अकड़ने लगा त्यों ही उसने अपने कमर को नीचे कर के मेरे लंड से अपने बुर को निकाल ली और झट से नीचे आ कर मेरे लंड को अपने मुह में ले ली. ३-४ सेकेंड में ही मेरा लंड महाराज से वीर्य निकलना शुरू हो गया. कुछ वीर्य उसने पी ली और कुछ उसके मुह से बाहर निकल आया.
थोड़ी देर के बाद उसने कहा- देखा ना रेमो बाबु, लंड छोटा या बड़ा नही होता. सभी लंड चुदाई के लिए अव्वल होते हैं.
थोड़ी देर के बाद मैंने अपने लंड की साइज़ कि सत्यता जांचने के लिए मोहिनी कि गांड की भी चुदाई कि. उस में भी मै सफल हो गया.
मोहिनी ने आज मुझे विश्वास दिला दिया कि मर्द कभी भी नामर्द नहीं हो सकता. उस के बाद जब भी मौक़ा मिलता मै मोहिनी को अवश्य ही चोदता. इसके लिए मैं मोहिनी को अलग से सभी से छुपा कर पैसे भी देता.

Faat gayi bhabhi Ki chut चुदाई की कहानियां

Ye meri pahli story h jo ki last year ki hai m delhi m rahte h meri age 22 h hamare 2 ghar h ek m humari family rahti h or dusre m hamare kirayedar jo ki ek bhaiya or bhabhi hai bhabhi ek dam bum hai unka figure 36,28,38 or age 23 h or rang gora jo bhi unhe dhekhe bas usse chodna chahe bhaiya army m h or wo yaha naya the isliye unhe yaha ka jayada kuch pta nahi tha unhe koi bhi kaam hota to wo hamhe hi bolte the.
Ek din bhaiya ne kaha sandy kal apni bhabhi ko Akshar Dham ghuma lao mujhe time nahi milta maine ha boldi next day m bhabhi ko bike pe le gaya uss din barish ka mosam tha din m kai bar barish aayi babhi ne white rang ka suit pahena hua tha barish ki wajhe se uss m se bhabhi ka samiz or panty dhikh rahi thi bike pe bhabi ke boobs meri kamar par kai bar tach hua maan to aisa kar raha tha ki inhe yahi pakad lu.
Jab hum aksar dham pahuche hum sare bheeg chuke the bhegne se bhabhi bhut sexy lag rahi thi hum waha ghume or lunch kiya m waha par bhabhi se jaan buz kar bar bar tach ho jata tha kabhi unke hips ko tach karta kabhi unki kamar ko hum sham ko ghar gaye bhaiya raat ko der se aate h 11 baje k karib mai bhabhi ko ghar chod kar jaane lega to bhabhi ne kaha chaye pee kar jana hum sare bhege huye the bhabhi itni sexy lag rahi thi ki unhe abhi chod du.
Bhabhi bathroom m jane lagi m piche se unki gand dhekh raha tha bhabhi ne ye not kar liya tha mera land pant ko fad kar bhar nikal raha tha m apne land ko pant k upar se hi masalne laga joki 7.5’’ ka h or 3’’ mota h jab bhabhi bathroom gayi to m unke piche chala gaya or key whole se unhe dhekhane laga bhabhi kapde uttar rahi thi unke gore boobs or gand dhekh kar m pagal sa horaha tha unki chut par ek bhi bal nahi the unhone save kar rekhi thi m wahi apne land ko nikal kar muth marne laga thabhi bhabhi ne apne pair chode kiye or apni chut ko maslne lagi or chut m ungli dalne lagi ye dhekh kar m haran ho gaya or khus bhi tabhi maine socha ki ajj bhabhi ko chod kar hi maanuga bhabhi ne apni pyas ungli se buza li lekin meri to or jyada ho chuki thi .
Bhabhi bathroom se bhar aayi or mujhse kaha sandy jao naha lo tumare bhi kapde bhege huye hm tumhe tumare bhaiya k kapde deti hu bhabhi ne ab pink colar ka suit pahena hua tha m ye soch raha tha ki bhabhi ko kase chodu or m bathroom m chala gaya waha par mane muth marne laga or sara kam bhabhi ke samiz m nikal diya lekin meri pyas abhi bhi nhi buzi thi mujhe to bhabhi ki gand dhekh rahi thi tabhi mane bhabhi se awaz lgayi bhabhi kapde dena phir bhabhi kapde dene aayi maine darwaza khol diya jaise hi bhabhi ne apna haath aage kiya maine unka haat pakad kar bathroom m khich liya bhabhi boli sandy ye tum kya kar rahe ho maine kuch bhi nhi pahena hua tha
maine kaha bhabhi mujhe app bhut achi lagti ho m tumhe chahta hu to bhabhi ne kaha ye galat h chod do nahi to m tumare bhaiya or papa ko bol dugi wo kuch jyada hi nakhare kar rahi thi tabhi maine kaha abhi jo app apni chut m ungli dal rahi thi wo sahi tha wo kuch nahi boli or m unke hooto ko chumne laga.
Bhabhi ne kafi kosis ki chudwane ki par maine unhe nahi choda or unhe kiss karta raha jab wo thodi der bad shant hogayi or meri kiss ka rply karne lagi tab boli sandy teri bhabhi bhut pyasi h ajj usski pyas buja de or bhabhi ne mere hooto ko apne muhe m dal liye hum aise hi 10 min tak kiss karte rahe phir maine bhabhi ka suit utar diya or unki chuchiyo ko cusne laga or ek haat se dosri ko dbane laga bhabhi k muhe se siskariya niklne lagi phir custe custe maine unki salvar m Haat dal diya or unki chut ko rgadne laga thodi der bad maine bhabhi ko puri naagi kar diya
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Usaki Chut me mera Land चुदाई की कहानियां

चाची की बुर में लंड

मेरा नाम शेखर है और मैं १८ साल का हूं. मैं अपने मम्मी पापा के साथ मुंबई में रहता हूँ. बात उन दिनों की है जब मेरे चाचा जी की तबीयत खराब हो गयी थी और वो मुंबई के हॉस्पिटल में भरती थे. इधर मेरी चाची जी को गाँव से लाने का काम मुझे करना था इसलिए मैं गाँव (उत्तर प्रदेश) चला गया. चाचा की शादी अभी २ बरस पहले ही हुई थी और शादी के कुछ ही महीने बाद से वो मुंबई में काम करने लगे थे. दो तीन महीने में एक दो दिन के लिए वो गाँव जाते थे. इधर बीमारी के वजह से वो तीन महीने से गाँव नहीं जा सके थे.
गाँव में पहुँचा तो मेरे दादा दादी जो कि चाचा जी के साथ रहते थे, अपने किसी रिश्तेदार से मिलने ४-५ दिन के लिए चले गये और घर में सिर्फ़ मैं और चाची अकेले रह गये.वैसे तो दादाजी और मैं घर के बाहर बरामदे में सोते थे और चाची जी और दादीजी घर के अंदर, पर अब चाची जी ने कहा कि तुम भी अंदर ही सो जाओ. रात में खाना खाने के बाद मैंने दरवाज़ा अंदर से बंद कर के दादीजी के कमरे में सोने चला गया. चाची बोली कि "लल्लाजी तुम मेरे ही कमरे में आ जाओ, बात करते करते सोएंगे" मैंने कहा कि ठीक है और उनके कमरे में चला गया.
चाची जी के कमरे में एक ही पलंग था और मैंने पूंछा कि आप कहाँ सोएंगी. वो बोली कि मैं नीचे ज़मीन पर सो जाउंगी. मैंने कहा कि नहीं, आप पलंग पर सो जाओ मैं नीचे सो जाता हूँ. वो बोली नहीं तुम पलंग पर सो जाओ. मैं नहीं माना और मज़ाक में बोला कि आप इसी पलंग पर सो जाओ, काफ़ी बड़ा तो है, दिक्कत नहीं होगी. पहले तो वो हँसी पर फिर बोली कि ठीक है, तुम दीवार के तरफ सरको मैं ऊपर ही आती हूँ. मैं दीवार के तरफ सरक गया और चाचीजी ने लालटेन बिल्कुल धीमा करके मेरे बगल में आकर लेट गयी. लगभग आधा घंटा हम लोग बात करते करते सो गये.
अब तक मैं सिर्फ़ चाचीजी को अपनी चाची के तरह ही देखता था. वो जबकि काफ़ी जवान थी, लगभग २२-२३ साल की, पर मेरे मन में ऐसी कोई ग़लत भावना नहीं थी. पर वहाँ चाचीजी को अकेले में एक ही बिस्तर पर पाकर मेरे मन में अजीब सी हलचल मची हुई थी. मेरा लंड एक खड़ा था और दिमाग़ में सिर्फ़ चाची की जवानी ही दिख रही थी. किसी तरह मैंने इन सब गंदी बातों से ध्यान हटाकर सो गया. लगभग आधी रात में मेरी नींद खुली और मुझे ज़ोर से पेशाब लगी थी. मैं तो दीवार के तरफ था और उतरने के लिए चाची के उपर से लाँघना पड़ता था. लालटेन भी बहुत धीमी जल रही थी और अंधेरे में कुछ साफ दिख नहीं रहा था. अंदाज़ से मैं उठा और चाचीजी को लाँघने के लिए उनके पांव पर हाथ रखा. हाथ रखा तो जैसे करेंट लग गया. चाची जी की साडी उनके घुटनों के उपर सरक गयी थी और मेरा हाथ उनके नंगी जांघों पर पड़ा था. चाचीजी को कोई आहट नहीं हुई और मैं झट से उठकर रूम के बाहर पेशाब करने चला गया. पेशाब करने के बाद मेरा मन फिर चाचीजी के तरफ चला गया और लंड फिर से टाइट हो गया.
मैंने सोचा की चाची तो सो रही है, अगर मैं भी तोड़ा हाथ फेर लूं तो उनको मालूम नहीं पड़ेगा. और अगर वो जाग गयी तो सोचेगी कि मैं नींद में हूँ और कुछ नहीं कहेंगी. दोबारा पलंग पर आने के बाद मैं चाची के बगल में लेट गया. चाचीजी अब भी निश्चिंत भाव से सो रही थी. मैंने लालटेन बिल्कुल बुझा दी जिससे कि कमरे में घुप अंधेरा हो गया. लेटने के बाद मैं चाची के पास सरक कर अपना एक हाथ चाचीजी के पेट पर रख दिया. थोड़े इंतजार के बाद जब देखा कि वो अब भी सो रही थी मैंने अपना हाथ थोडा उपर सरकाया और उनके ब्लाउस के उपर तक ले गया. उनकी एक चुची की आधी गोलाई मेरे उंगलियों के नीचे आ गयी थी. धीरे धीरे मैंने उनकी चुची दबाना शुरू किया और कुछ ही देर में उनकी वो पूरी चुची मेरे हांथों में थी. मुझे ब्लाउस के उपर से उनकी ब्रा फील हो रही थी पर निपल कुछ मालूम नहीं पड़ रहा था.
चाचीजी अब भी बेख़बर सो रही थी और मेरा लंड एकदम फड़फड़ा रहा था. सिर्फ़ ब्लाउस के उपर से चुची दबाकर मज़ा नहीं आ रहा था. मुंबई के बस और ट्रेन में ना जाने कितने ही लड़कियों की चुची दबाई है मैने. मैंने सोचा कि अब असली माल टटोला जाए और अपना हाथ उठा कर चाचीजी की जाँघ पर रख दिया. मेरा हाथ चाची की साडी पर पड़ा पर मुझे मालूम था की थोडा नीचे हाथ सरकाउं तो जाँघ खुली मिलेगी. मैंने हाथ नीचे सरकाया चाची की नंगी जांघ मेरे स्पर्श में आ गयी क्या नरम गरम जाँघ थी चाची की। तभी मेरा स्पर्श पाकर चाचीजी ने थोड़ी हलचल की और फिर शांत हो गयी.
मैं भी थोड़ा देर रुक कर फिर अपना हाथ उपर सरकाने लगा. साथ में साडी भी उपर होते जा रही थी. चाचीजी फिर से कुछ हिली पर फिर शांत हो गयी. मेरा मन अब मेरे बस में नहीं था और मैंने अपना हाथ चाची के दोनो जांघों के बीच में ले जाने की सोची. पर मैंने पाया कि चाची की दोनो जाँघ आपस में उपर सटे हुए थे और उनकी बुर तक मेरी उंगलियाँ नहीं पहुँच सकती थी. फिर भी मैंने अपना हाथ उपर सरकाया और साथ में मेरी उंगली दोनो जांघों के बीच में घुसाने की कोशिश की. चाची फिर से हिली और नींद में ही उन्होने अपना एक पैर घुटनों से मोड़ लिया जिससे उनकी जांघें फैल गयी.
मौके का फ़ायदा उठाकर मैंने भी अपना हाथ उनके जांघों तक ले गया और जब की मेरा अंगूठा अब मेरे चाची के बुर के उपरी उभार पर था, मेरी पहली उंगली चाची के जांघों के बीच उनकी पैंटी के थ्रू बुर के असली पार्ट पर थी. चाची की बुर की गर्माहट मेरी उंगली पर महसूस हो रही थी और कुछ कुछ गीलापन भी था. मेरा दिल अब ज़ोरो से धड़क रहा था. मेरा हाथ चाची के बुर पर था और कमरे में बिल्कुल अंधेरा था. मैंने सोचा कि अब क्या करूँ. चाची की बुर तो उनकी पैंटी से ढकी है और पैंटी में हाथ तो डाला तो वो ज़रूर जाग जाएँगी.
फिर भी मैं नहीं माना और मैंने सोचा कि धीरे से अपनी एक उंगली उनकी पैंटी के साइड में से अंदर डालूं. मैंने धीरे से अपनी उंगली मोडी और उनकी जांघों के बीच में पैंटी को थोडा खीच कर एक उंगली अंदर डाल दी. मेरी उंगली उनकी बुर के फोल्ड्स पर पहुँच गयी और मैंने पाया कि उनकी बुर एकदम गीली थी जिससे मेरी उंगली का टिप उनके बुर के मुहाने के अंदर आसानी से घुस गया. मैंने अपनी उंगली धीरे धीरे से चाची के बुर में हिलाने लगा और तीन चार बार हिलाने पर ही चाची जी एक झटके से जाग गयी. मैं तो एकदम से सन्न रह गया और सोचा कि अब तो मरा.
पर चाची ने अपना हाथ से अपने बुर को टटोला और मेरा हाथ वहाँ पाकर थोड़ी देर उनका हाथ वहीं रुक गया. शायद वो भी सन्न रह गयी थी. मैं चुप चाप सोने का नाटक कर रहा था और सोचा कि अब चाची मेरा हाथ वहाँ से निकाल कर मुझे दूर धकेल देंगी. पर चाची जी ने वो किया जो मैं सोच भी नहीं सकता था. उन्होने मेरा हाथ ना हटाते हुए अपनी बुर खुजाने लगी और खुजाते खुजाते अपनी पैंटी थोड़ी नीचे सरका दी जिससे कि उनका बुर आधा खुल गया और फिर सोने का नाटक करने लगी. मेरी उंगली अब भी उनकी पैंटी में थी पर अब जब उन्होने पैंटी थोड़ी नीचे सरका दी तब मैं भी समझ गया कि चाची जी चुप चाप मज़ा ले रही है.
फिर भी मैं थोडा रुका और फिर अपना हाथ बिल्कुल उनकी जाँघ पर से उठाकर सीधे उनके बुर पर रख दिया. चाची की पैंटी का एलास्टिक अब भी मेरी उँगलियों और उनके बुर के बीच आ रहा था तो मैंने हिम्मत करके धीरे से एलास्टिक उठा कर अपनी उंगलियों को उनकी पैंटी के अंदर घुसा दिया. मेरी बीच की उंगली चाची के बुर के स्लिट पर थी और जब मैंने धीरे से अंपनी उंगली मोडी तो वो उनकी गीली बुर में चली गयी चाची ने भी अब पैर और फैला दिए और अपना एक हाथ मेरे हाथ के उपर रख दिया. लेकिन वो अब भी सोने का नाटक कर रही थी. मैंने भी अब अपनी दूसरी उंगली मोडी और वो भी चाची की बुर में पेल दी.
रूम में वैसे भी सन्नाटा था और अब चाचीजी की साँसे ज़ोर ज़ोर से चल रही थी. अब तक तो सिर्फ़ मेरे हाँथ चाची की जवानी को टटोल रहे थे पर अब मैं बिल्कुल चाची के करीब उनसे सट गया और अपना मूह उनके मूह के पास ले गया. हमारी गाल आपस में छू गये और चाची ने अपना चेहरा इतना घुमाया की उनके होंठ मेरे होंठों से बस धीरे से छू भर गये. उनकी साँस की गर्मी मेरे होंठों पर आ रही थी. मैं भी थोडा सा इस तरह एडजस्ट हो गया की मेरा होंठ बिल्कुल उनकी होंठों पर सट गया.
उधर मेरी उंगलियाँ चाची की बुर में अपना कमाल दिखा रही थी और चाची भी अपने हाथ से मेरे हाथ को अपनी बुर पर दबा के रखा था. चाची की गरम गरम गीली बुर में अब मैं खुल्लम खुल्ला उंगली कर रहा था और चाची अब भी नींद में होने का नाटक कर रही थी. मैंने सोचा अब बहुत नाटक हो गया. अब तो असली जवानी का खेल हो जाए. मैंने चाची की बुर में अपनी तीन उंगली डाल कर ज़ोर से दबा दिया और साथ में चाची के होंठों पर अपने होंठ चिपका दिए.
चाची के मुंह से आह निकल गयी और उनका मुंह थोडा सा खुल गया. तुरंत ही मैंने अपनी जीभ उनके मुंह में घुसा दी और चाची की बुर से हाथ निकाल कर तुंरत उनको अपने बाहों में कस कर लिपट लिया. "उह्ह... शेखर यह क्या रहा है तू...छोड़ मुझे तू.. चाची ने मुझे यह कहते हुए धकेलना चाहा. पर मैंने भी उनको कस कर पकड़ लिया और बोला कि मुझे मालूम है तुम पिछले आधे घंटे से जाग रही हो मेरी उंगली करने का मज़ा ले रही हो. तब चाची ने मचलना बंद कर दिया और मेरी बाहों में शांत हो कर पड़ी रही. चाची बोली" शैतान कहीं के, तुझे डर नहीं लगा मेरे साथ यह करते हुए ?"
मैंने कहा कि डर तो बहुत लगा था पर अब डर कैसा. अब तो तुम ना भी बोलोगी, तब भी तुम्हारा रेप कर दूँगा इसी बिस्तर पर. कौन जानेगा कि इस घर के अंदर यह भतीजा अपनी चाची के साथ क्या कर रहा है. यह कहते हुए मैंने अपना हाथ चाची के पीठ पर से नीचे सरकते हुए उनके गांड के गोलाईयों पर ले गया और पीछे से उनकी पैंटी की एलास्टिक को पकड़कर पैंटी नीचे सरका दी.
वो बोली "लल्ला रेप करने की क्या ज़रूरत है. तूने तो वैसे ही मुझे गरम कर दिया है. अब तो मैं ही तेरा रेप कर दूँगी" बस अब क्या था. चाची जी ने अपना पैंटी पैर में से निकालकर साड़ी उतार दी. मैंने भी अपना लूँगी खोल कर अंडरवीयर निकाल फेंका. फिर चाची को बिस्तर पर पीठ के बल दबाकर उनके ब्लाउस के बटन खोलने लगा.
"आज तुम्हारी जवानी का स्वाद लूँगा मेरी जान" मैंने ब्लाउस खोलते हुए एकदम फिल्मी अंदाज़ में चाची से बोला. चाची ने भी उसी अंदाज़ में कहा, "भगवान के लिए मुझे छोड़ दो, मैं तुम्हारे पांव पड़ती हूँ"
सारे बटन खोलने पर मैंने ब्लाउस को पकड़ कर साइड में कर दिया और चाची के ब्रा से ढके हुए चुचियों पर अपना मुह रख दिया. चाची ने भी अब बेशरम हो कर मेरा सर को अपनी चूची पर दबा दिया और बोली, "लल्ला क्या यह पैकेट नहीं खॉलोगे"
उनका इशारा उनकी ब्रा के तरफ था. मैंने तुंरत उन्हे उठाया और पलंग के बगल में खड़ा करके उनकी ब्लाउस और ब्रा उनसे अलग कर दी. फिर पेटिकोट का नाडा भी खींच कर खोल दिया और वो भी उनके पैरों के पास ज़मीन पर गिर गया. चाची को इस तरह नंगा कर उनको पलंग पर खींच लिया और सीधे उनके उपर लेट गया. अब में उनकी चुचियों को आराम से चूस रहा था और वो मेरा सर अपने हाथों से सहला रही थी.
कुछ देर बाद चाची ने अपना हाथ मेरे लंड पर ले गयी और बोली" लल्ला नाश्ता हो गया. अब डिनर हो जाए?"
मैं भी तैयार था, पूछा वेज या नॉन वेज ?"
वो बोली की वेज तो रोज़ ही लेते हो आज नॉन वेज चख लो" यह कहते हुए चाची ने मेरा लंड उनके बुर के मुहाने पर रखा और मैंने उनको फाइनली पेल दिया. पेलते पेलते चाची एकदम मस्त हो गयी और अपने दोनो पांव मेरे कमर के उपर लपेट दिया. मैं उनको पेलता रहा और साथ साथ चूमता रहा.
चाची ने तभी अपना हाथ मेरी गाण्ड की तरफ ले गयी और एक उंगली मेरी गांड में घुसा दी. मैंने भी अपना एक हाथ चाची के गांड के पीछे ले जाकर उनकी गांड में एक उंगली घुसा दी. तभी चाची एकदम ऐंठने लगी और कस कर मुझे पकड़ लिया. लल्ला और ज़ोर से चोदो...ऽउर छोड़ो ...बोलते बोलते वो आख़िर वो झड़ गयी और फिर शांत हो गयी. पर मेरा पेलना अभी चालू था और लगभग १०-१५ झटकों के बाद मैं भी चाची के बुर में ही झड़ गया. हम दोनो पसीने पसीने हो गये थे और में चाची के उपर ही पड़ा हुआ था.
कुछ देर बाद चाची उठी और बाथरूम जाकर आई. मैं भी अब अंडरवीअर पहन चुका था. चाची ने सिर्फ़ पेटिकोट पहन रखा था. आकर बोली " लल्ला, तुम्हारे साथ जो किया वो तो अभी हम आगे भी बहुत बार करेंगे. पर यह बात किसी और को मालूम नहीं होने पाए. सबके सामने मैं तुम्हारी चाची ही हूं" मैंने भी उनको अपने बाहों में लेते हुए बोला" सबके सामने क्यों चाची, यहाँ पलंग पर भी तुम मेरी चाची ही हो. और तुम्हारी यह जवानी की मिठाई तो मैं अकेले ही खाऊँगा. सब चाचाजी को ही मत खिला देना चाची हँसी और अपना हाथ फिर से मेरे अंडरवीअर में डाल दिया.